आज का गीता
जीवन पथ
पंचम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के वैज्ञानिकों के नाम जो असमय मौत का शिकार
बने
ज्ञानवान बनते हैं जब,
ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं ,
अज्ञान हटता जाता है
अनुभूति अनोखी पाते हैं,
5/48
सूर्य समान आलोंकित करता ,
प्रकाश पुञ्ज को फैलाता,
सूर्य समान नूर चमके ,
ज्ञान वो सच्चा पाता
5/49
मन में बृह्म,
कर्म में बृह्म
भजता बृह्म ,
तिष्ठति बृह्म
5/50
स्थिति जिसकी निष्ठा बृह्म
पाप रहित वो हो जाता
अपना वृत्ति वह प्राप्ति करे
लीन बृह्म में (वो) हो जाता
5/51
ज्ञानी ऐसे समदर्शी
सच्चे बृाह्मण कह लाते
गौ,हाथी कुत्ता, मानव
समान स्वभाव वे अपनाते
5/52
मन में स्थिति समभाव ,
भेदभाव वे ना करते
सभी को माने एक समान
व्यवहार सभी से वे करते
5/53
(सभी को माने एक समान –Equality amongst all is stressed here
,whereas in the name of caste and creed ,all evils have been imposed .This is
the twisting and playing with the facts or interpolation ,more particularly by
the Britishers like William Hunter, St.Francis, Will-Du Wrath, Grifith and
Macaulay etc.)
जीते जी संसार को जीता
सबके साथ एक समान
मन भी दूषित न हो
वही तो ज्ञानी बने महान
5/54
दाग नहीं ईश्वर में
बदनाम कभी ना वे करे
निद्रोष् ,सम,वो तटस्थ
हस्तक्षेप न कभी करे
5/55
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है
प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा
गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते
कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना
बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े
I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment