Monday, 20 March 2017

522----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

ग्यारवाँ अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल हम सुरक्षित RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)


हमें खुशी मिले ; नाराज कभी ना होना,
यही इबादत मेरी तुमसे
शान्तिमय जगत हो अपना
यही गुजारिश है तुमसे
11/51
मन मेरा भ्रम से युक्त,
 रूप तेरा है बड़ा अनोखा
बार -2 मैं देखूं तुमको
आखें कैसे खाती धोखा
11/52
सारा जग है तुममें समाया,
 जीवन मृत्यु को गति मिलती
तेरी माया तू ही जाने
सांसे सबकी तुम से तुमसे चलती
11/53
देख तुझे भ्रमित हूं मैं ,
स्वरूप दाढी का है विकराल
अग्नि ,प्रज्वलित प्रलय काल में
रूप तेरा है जग का काल
11/54
जग के दाता ,मुझे बतायो
प्रसन्न करूं मैं तुझको कैसे
क्षमा सभी को करना  तू
हम हैं तेरे बालक जैसे
11/55
कुनवा धृतराष्ट्र का देखा
 प्रवेश करें वे तेरे अन्दर
रथी महारथी योद्धा देखे
 नदी समाये; जैसे सात समन्दर
11/56
भीष्म,द्रोण और कर्ण सरीखे
 योद्धा बड़े वेग से दौड़े
युद्ध क्षेत्र ये काल क्षेत्र हैं
कहां अक्ल के घोड़े दौड़े
11/57

शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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