Friday, 31 March 2017

532--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

तेरहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश engineers and technocrats के नाम ; इतना जोखि और परेशानी  के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते   रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)

अर्जुन! ये तो तुम जानो ,
जैसा जहां का क्षेत्र ,
वैसा फल पाते ही
आसूं लाते तेरे नेत्र
13/1
महनत भी रंग लाती है ,
नाम सा्थ में चलता है,
 यश भी देता साथ वहां ,
महनत का फल मिलता है
13/2
यही हाल है रूप शरीरा ,
क्षेत्र ज्ञ बन के ध्यान रखें ,
ज्ञानी महत्व समझता है,
 बातें ज्ञान की वो कहे
13/3
अर्जुन !सब क्षेत्रों के क्षेत्र ज्ञ ,
जीवात्मा मुझको जान ,
विकार सहित पुरूष तत्व ,
समझो इसको , अब तुम जान
13/4
क्षेत्र अच्छा बुरा हो ,
विकारों ने घेरा
क्या कारण इनका समझ ,
क्या हाथ किसी ने फेरा ?
13/5
क्षेत्र ज्ञ का पृभाव ,
क्षेत्र ही उसे दिलाता ,
आगे का वर्णन सुन ,
मैं ही तुझे बताता
13/6
स्तुति करते वेद-मन्त्र,
 नाना वर्णन का विस्तार
बृहमसूत्र में भी गणना !,
 करें कल्पना को साकार
13/7
शेष कल



मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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