Friday, 3 March 2017

505---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
दश अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)


दिल की चाहत मेरी है,
 मुझे बतलाओ विस्तार से
 सुनते-2 सुनता जाऊं
जीना बदलूं मन की रफ्तार से
10/29
नहीं. तृप्ति होती हैं भगवन!,
 सुनने को मन करता है
बातें तेरी अमृत बरसे
 धारण इनको दिल करता है
10/30
योग शक्ति और विभूति,
ज्ञान-पिपाशा बाकी है
विस्तार पूर्व क समझाओ,
 इच्छा, मेरे मन की है
10/31
“अन्त विस्तार का न होगा,
ये दिव्य विभूति मेरी है
अर्जुन! तुमको अब बतलाना है
जव ये इच्छा तेरी है”
10/32
सब भूतों के ह्दय में स्थित
आ दि  ,मध्य और हूं अन्त
आत्मा रूपी रूप है मेरा
रूप यही है अनन्त है
10/33
विष्णु का अवतार हूं मैं ,
तेज देव का मुझसे है,
 चमक सूर्य चन्दा जैसी
आलोकित ये मुझसे है
10/34
मैं ही जीवन शक्ति ,हूं,
 वेदों में हूं सामवेद
मन हूं इंन्द्रियों में मैं
और देवों में हूं इन्द्रदेव
10/35
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा





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