Wednesday 15 March 2017

517-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल हम सुरक्षित RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)


“जीवन - मरण है परिवर्तन ,
इनसे क्यों डरना है ,?
सत्य ही सबकी मंजिल हो !
 सत्य की खातिर लड़ना है
11/15
झूठ भी आता सत्य दिखा के ,
कुछ दिन इनका राज भी चलता
ज्ञान मिले ,चाहत होती ,
झूठ कभी ना टिक पाता
11/16
अज्ञान मेरा अब दूर हुआ ,
गुरूत्व मिला मुझको तुमसे ,
वचन गोपनीय तुमने बोले
 (और)मर्म जीवन का समझा तुमसे
11/17
ज्ञान मिला उत्पत्ति कारण ,
प्रलय का ज्ञान दिया तुमने,
 अविनाशी ईश्वर कहते तुमको,
ना रूप अभी तक देखा हमने !
11/18
सही मानती दुनियां इसको ,
ईश्वर हो परमेश्वर हो !,
बल ,वीर्य ,ऐश्वर्य तुम्हारा ,
कमल नेत्र तुम हृदयेश्वर हो !
11/19
रूप देखना दिल की इच्छा ,
दर्शन का मन अभिलाषी ,
प्रभु दिखाओ अपनी माया ,
अंखियां दर्शन को प्यासी
11/20
हे जगत के स्वामी !अर्न्तयामी !,
शक है मुझको ; तुमको लगता
तेज युक्त अनुपम तेरी माया,
 दिल से सबका संशय हटता”
11/21
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा




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