आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम सुरक्षित व RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
“ पार्थ! तेरे मन की शंका
दूर अभी
करता हूं मैं
देख हजारों
रूप मेरे
चर्चा जिनकी करता हूं मैं
11/22
नाना रूप रंग हैं मेरे
जगत समाया रूप में मेरे
अपनी इच्छा पूरी कर लो
बचे ना शंका दिल में तेरे
11/23
हे अर्जुन !इस जगत को
अब मुझ में देख तू
दिव्य अलौकिक रूप मैं देता
जी चाहे जी भर के देख तू!
11/24
गुणाकेश( निद्रा जीतने वाला) तुम हो ,पार्थ
देख जरा इस जहां को तू
बृह्माण्ड समाया मुझ में, पार्थ
ज्ञान _पिपाशा
(अपनी) अब बुझा ले तू”
11/25
“ऐश्वर्य युक्त दिव्य स्वरूप
प्रभु ने अपना रूप दिखाया, राजन
नाना मुख,नाना नेत्र ,संजय बोले,
अर्जुन
इस रूप को देखा ,राजन
11/26
राजन,नाना मुख,नाना नेत्र
दिव्य आभूषण से सज्जित रूप ,
दिव्य रूप ,अद्भुत दर्शन है
दिव्य अस्त्र -शस्त्र से आलोकित स्वरूप
11/27
दूर दृष्टि से वर्णित करता ,संजय,
माला ,दिव्य वस्त्रालंकार युक्त
दिव्य लेप,
करे शरीर सुगन्धित
परमदेव !परमेश्वर !सीमा रहित !आश्वर्य युक्त”
11/28
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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