Thursday 9 March 2017

510---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
दश अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(
समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)

कीर्ति ,श्रीवाक, स्मृति, मेधा ,
धृति ,क्षमा ,गायत्री छन्दों में छन्द
 गायन हूं वृहत्साम ,माहों में मार्गशीर्ष
क्यों उलझे हो अर्जुन !तेरे मन का दन्द्ध
10/50
वसन्त भी मैं हूं मौसम में ,
 स्वागत मेरा सारे करते
हल भी सारे मुझसे हैं
प्रभाव भी मेरा सभी समझते
10/51
विजय सोचोगे, विजय है मुझसे
 निश्चय स्थान ढूँढता मुझ से,
सात्विक का सात्विक भाव
हार जीत का निर्णय मुझसे
10/52
VRISHANवंशी में मैं  वासुदेव !तेरा सखा
पाण्डवों में धनज्य ,अर्जुन!
 कवियों में वेदव्यास हूं
चाहत मेरी ,फैले अमन
10/53
शुक्राचार्य कवियों में
मुझसे बनती नीति
ज्ञानवान का तत्व हूं
मुझसे है सुमति /कुमति
10/54
 गुप्त जान भी मुझसे
जगत का जो है आ्धार
जग में जो भी देखो
सबसे जुड़ते मेंरे तार
10/55
अर्जुन सब भूतों का आधार
 मैं उत्पत्ति का कारन
चाहे चर हो अचर
सबका कारन और निवारन
10/56

शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा


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