Sunday, 26 March 2017

526---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
बारहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश की प्रैस  के नाम ;IV PILLAR; इतनी असुरक्षा और PRESSING SITUATIONS के मध्य उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम जागररू्क और अप- टू-डेट रहते है ,हम उनकी सेवाओ से  प्रेरित व गौरवान्वित भी होते हैं)

सब भूतों का हित साधे ,
पक्षपात ना जीवन उनका
प्राप्त होते हैं मुझको ही
 संशय नहीं किसी के मन का
12/8
निराकार बृहमं में भी!,
आसक्त चित्त है जिनका
श्रृद्धा दिल में जिनके रहती
भक्ति भाव का मन उनका
12/9
दुःख मिलता है अव्यक्त विषयक
साधन मांगे कठोर श्रम
मिलन को आतुर वे रहते
 देह से करते कठोरपरिश्रम
12/10
भक्त प्रिय है मुझको ,
दिन रात वे रहते मुझ में लीन
सब कर्मों का करें समर्पण
ना रहते सदकर्मों से हीन
12/11
मृत्युलोक से जल्दी मैं
 उद्धार करूं मैं उनका
 मुक्त वे झंझावातों से
ल-2 ध्यान  रखूं उनका
12/12
सुनो अब !अर्जुन ,तुम
मन बुद्धि से करो  निशिठ्ति
 मुझ में स्वयं को पाओगे
संदेह न करना तुम किंचित
12/13
मन ना तेरा हो चंचल
 भक्ति-भाव से दूर ले जाता
 प्रश्न उठें मन में बहुतेरे
व्याकुल दिल को तेरे करता
12/14
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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