Saturday, 4 March 2017

506--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
दश अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)



एकादश रूद्रों में शंकर,
 धनका स्वामी  मैं कुबेर
आठ वसुओं में अग्निहंू
पर्वतों में मैं हूं सुमेर
 10/36
सागर जैसा रूप मेरा ,
जलाशय मिलते मुझमें
सब गुरुओं का गुरू बृहस्पति,
हर ज्ञान समाया है मुझमे
10/37
सेनापति में स्कन्द
शब्दों का अक्षर औंकार
 ऋषिओं में मैं भृगु,
रूप मेरा ये साकार
10/38
यज्ञों में जप यज्ञ ,
पहाड़ में मैं खड़ा हिमालय ,
वृक्षों में तू पीपल जान
लोग पूजते देवालय
10/39
देवऋषि नारद मैं,
 गन्धर्वों में चित्र रथ ,
सिहों में कपिल मुनि
हासिल मुझको महारत
10/40
अश्वमें उच्चैशृवा ,
श्रेष्ठ हाथी में ऐरावत,
 राजा मानें जग सारा ,
यही मेरी हकीकत
10/41
,गायों में गाय कामधेनु ,
 शास्त्रों में वज्र रूप,
कामदेव मैं उत्पत्ति का
वसुकि सर्पो का स्वरूप
10/42
(meaning thereby that the best always reflects and sparkles from the personality of Lord Krishna)

शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा




No comments:

Post a Comment