आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश
JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम सुरक्षित व
RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
दांत पीसते ;पिसते सब
माया तेरी अपरम्पार
तेरी माया तू जाने
करता सबका बेड़ा पार
11/58
जैसे नदी समाती सागर अन्दर
वेग से चलती खो जाती
आनी जानी दुनिया है
तुझमे समाती ,खो जाती
11/59
जलता दीपक देख पतिंगा
वेग से जाता, जल जाता
हाल वही जन जन का
देखा दौडता जाता, तुझमें समाता
11/60
काल रूप तेरा बड़ा निराला
फर्क नहीं कौन है रहता
सुख दुख के भंवर है जैसा
तुझमें जीता तुझमें मरता
11/61
नहीं जानता ,नहीं समझता
आ दि पुरूष !तुम समझ से बाहर
कैसे तुमको जानें हम
उठता मन में मेरे बवंडर
11/62
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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