आज का गीता जीवन पथ
बारहवां अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश की प्रैस के नाम ;IV PILLAR; इतनी असुरक्षा और PRESSING
SITUATIONS के मध्य उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम जागररू्क और अप- टू-डेट रहते है ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित भी होते हैं)
(Today's poem dedicated to the memory of student Sushma Pandey who left us due to her untimely death)
शोक कामना से अतिदूर ,
शुभ अशुभ का फर्क नहीं,
भक्ति तनमन पे छाये ,
आगे इसके तर्क नहीं
12/36
शुभ अशुभ कर्मों का त्यागी,
मान सम्मान में सम हो ,
सर्दी गर्मी सुख दुख हो ,
दुखी न करता गम हो
12/37
द्वन्द्वो में भी सम हो ,
आसक्ति मोहित
न करती,
प्रिय वो मेरा भक्त यहां
भक्ति दिल में प्यार
है भरती
12/38
वास-निवासन ममता लाये,
स्थिर बुद्धि साथ रहे
निन्दा-स्तुति एक समान
आशीष मेरा (उसके) साथ रहे
12/39
जो मिल जाये,खाले प्रेम से,
ना नुकर हो, न बदनीयत हो
मर्म जीवन का समझ लिया
जीवन की यही खासियत हो
12/40
मन की प्रवत्ति रहे ना चंचल,
कठोर नियन्त्रण उसका हो
सत्सग प्रसंग सानिध्य-सन्त जन,
सत्य से दर्शन उसका हो
12/41
समझ लिया जीवन को जिसने ,
भक्त है वो देव समान,
जान लिया है रहस्य
यहां का ,
ना विचिलिति करते मान सम्मान
12/42
धर्ममयी अमृतको जो ,
प्रेम भाव से पीते
हैं ,
प्रिय हैं मेरे भक्त वे,
धर्म से जीवन जीते हैं
12/43
धरा सुरक्षित सत्कर्मो से,
अधर्म शोर मचाता है
सत्कर्मो से दुनिया जीती है
अधर्म हारता जाता है
12/44
अध्याय समाप्त
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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