Thursday, 2 March 2017

504----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
दश अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)


दानव दैत्य भी जान सके ना
 देवों को अचरज होता है
रहस्य भरा ये जीवन है
मुशिकिल सब को लाता है
10/22
हे !जगत के स्वामी अर्न्तयामी !
तुम देव बड़े पुरूषोत्तम हो!
सबके  दाता भाग्य विधाता
उत्तम तुम ,सर्वोत्त्तम हो
10/23
पूर्णता तुमसे है केशव!,
 भव्य दिव्यता तेरी है
             तुम्ही न बताओं भगवन !   (मुझको )
मन की इच्छा मेरी है
10/24
सम्पूर्ण स्वयं में तुम हो
दूर रहे ये हमसे पूर्णता
 प्रयास करें हम जानें
कहाँ से आये ये सम्पूर्णता
10/25
अध्कचरा ,थोथा ज्ञान है मेरा
ज्ञानी बनता मैं दिखाता
 दिल भी जाने मेरी हकीकत
सच्चाई से क्यों मैं बचता
10/26
तेरे मेरे बीच की खाई
पाट सकूं मैं कैसे ?
मुझसे बड़ा ना अज्ञानी है
ज्ञान मिलेगा मुझको कैसे ?
10/27
भाव कौन सा तेरा विशुद्ध ?
 चिन्तन उसका करता जाऊं
खुशी में ऐसा खो जाऊं
दर्शन तेरे ही पाऊं 
10/28
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा





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