Saturday, 25 March 2017

525----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
बारहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश की प्रैस  के नाम ;IV PILLAR; इतनी असुरक्षा और PRESSING SITUATIONS के मध्य उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम जागररू्क और अप- टू-डेट रहते है ,हम उनकी सेवाओ से  प्रेरित व गौरवान्वित भी होते हैं)
संशय अर्जुन के दिल में ,
“साकार रूप भी तेरा है
भ्रमित करे जग में सबको
निराकार रूप भी तेरा है
12/1
पूजा पाठ करें किसकी
मन को शान्ति कहाँ मिलती
 किस रूप को तेरा सच मानूं
मन में शंका मेरे ठती
12/2
कौन उपासक सच्चा है ?
सच्ची जिसकी प्रीत जगत में
प्रियवर कौन जहां में हैं ?
भ्रम होता है इसी जगत में”
12/3
“श्रद्धा जिसके मन में रहती
 याद करें दिन रात मुझे
सगुण मानके पूजे जो
योगी उत्तम मानूं उसे
12/4
इन्द्रीय जिसके वश में है
राग द्वेष से ऊपर जो
हित सबका साधे दिल से
एकाकी भाव से जपते जो
12/5
सर्वज्ञ सर्वव्याप्त सर्वशक्ति मानना
निराकार नित्य अचल अविनाशी
रू्प मेरा है मन में जिनके
न इच्छा करती विचलित जरा सी
12/6
दिनरात मुझे भजते हैं.
सर्वोपरि इच्छा है उनकी
भक्त बड़ा भगवान से है
बात मैं करता उसनके मन की”
12/7
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



No comments:

Post a Comment