आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश
JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम सुरक्षित व
RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
स्तोत्र स्तुति ,मन्त्र जपें,
दिन और रात भजन भी करते
मुझे रिझाते ,गीत भी गाते ,
मन की बात भी ,मुझसे कहते
11/43
ग्यारह रूद्र ,बारह आदित्य,
आठ वसु व साध्य गण ,विश्व देव,
मरूद गण, अश्वनी कुमार
दर्शन भी देते हैं देव
11/44
राक्षस ,सिद्ध, यक्ष ,गन्धर्व
मैं देखूं सारे पितर ,प्रभु
आश्चर्य मुझे होता है !
बृहमान्ड समाया इतर ,प्रभु
11/45
व्याकुलता बढ़ती है ,पृभो
मैं भी व्याकुल ,जन भी आकुल
रूप तेरा बड़ा भयंकर !
होते हैं जन सारे व्याकुल
11/46
नेत्र ,मुंह, बाहें ,उदर हजार,
जंघा पैर भी कई दिखते
दाढ़े तेरी बड़ी भयंकर
भयभीत सभी को हैं करते
11/47
रूप तेरा बड़ा भयंकर
देख के डर लगता है
देदीप्यमान ,अनन्त रंग अनोखे ,
प्रकाश देख डर लगता है
11/48
मुंह भी फैला-2 है
प्रलय काल की अग्नि समान
देख रूप; दिशा भ्रम होता हैं
देख के तुमको ; होता है भान
11/49
जहां भी देखूं, प्रभो
बस तू ही तू विराजे
रूप तेरा आश्चर्य भरे
बड़ा भयंकर ये गरजे
11/50
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment