आज का गीता जीवन पथ
दश म अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
सारे मेरे अपने हैं बस ,
अज्ञान दिलों में बसता है
ज्ञान से दिल को भरता मैं
अज्ञान दिलों से हटता हैं
10/16
अन्तःकरण में स्थित होता
विनती पहले करनी होगी
जीने -रहने की आजादी !
पहल तुम्हें करनी होंगी
10/17
शुरू किया प्रलाप ,पार्थ ने
अपना तन मन भी डोले
स्वीकार किया प्रेम भाव में
जो भी भगवन ,पार्थ से बोले
10/18
प्रभु की माया प्रभु जाने!
दिव्य सनातन करें बखान
परम पावन ,परम बृह्म हैं
अजन्मा !सर्वव्यापी ! तुम सबसे महा न
10/19
देवों के भी आदि देव हो
देवर्षि नारद, असित, देवल (व्यास )कहते हैं
जगत संचालित परमबृहमं से
यही बंया वे करते है
10/20
हे!देव जो बयां किया तुमने
सत्य मानता उसको मैं
समझ से बाहर रूप तुम्हारा
क्या जानूंगा जगत से मैं
10/21
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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