आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश
JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम सुरक्षित व
RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
“रूप से तेरे मैं अपरचित,
दिल से मेरी विनती सुन,
प्रभु! प्रसन्न रहो तुम हम
सब पर
कैसे जीवन बीते तेरे बिन?”
11/63
“महाकाल मैं प्रलय हूं ,अर्जुन ,
नाशवान ये तेरा जहां ,
देख सभी को दिल से तू ,
नहीं बचेगा कोई यहां
11/64
लाखों जन और योद्धा दिखते ,
क्रम बंधा है सबको जाना ,
राह देखते अपनी बारी,
सत्य यही! सबने माना,
11/65
मोह-ममता का त्याग करो,
काम तेरा हो उत्कृष्ट
धनुष उठा मानवता की खातिर ,
अधर्म न दे किसी को कष्ट ”
11/66
अध्याय समाप्त
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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