Friday, 10 March 2017

0511------आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
दश अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सब खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल हमें सम्मान मिलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)


दिव्य विभूति का विस्तार ,
संक्षेप में हमें बताये ?
जिनका नहीं आदि, अन्त
उसको क्या समझाये !
10/57
विभूति युक्त या ऐश्वर्य युक्त
 कान्ति युक्त या शक्तियुक्त
 तेज हैं मेरी अभिव्यक्ति का
संसार में (मौजूद) चाहे जो भी वस्तु
10/58
एक अंश मेरा है पर्याप्त
अरे! तू क्या जाने ,अर्जुन!,
 योग शक्ति है मेरा माध्यम
क्यों ?तेरा ये ज्यादा प्रयोजन !
10/59
 अल्पकाल की शक्ति जगत में
जगत समाया मुझ में
जहां तू जाता ,मैं ही मैं
आधार जगत का है मुझमें
10/60
अध्याय समाप्त
(God is omnipotent, omniscient and omnipresent)
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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