आज का गीता जीवन पथ
बारहवां अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश की
प्रैस के नाम ;IV PILLAR; इतनी असुरक्षा और PRESSING SITUATIONS के मध्य उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम जागररू्क और अप- टू-डेट रहते है ,हम उनकी सेवाओ से
प्रेरित व गौरवान्वित
भी होते हैं)
मुझे प्राप्त
होगा तू,
रोक ना कोई पायेगा,
इसी जहां में
नाम तू अपना ,
अमर सदा कर जायेगा
12/22
मर्म ना जाने
! ,अभ्यास तू कर ,
ज्ञान श्रेष्ठ
है अर्जुन
ध्यान लगा तू परम-बृहम
तू जीवन सफल
करेगा अर्जुन
12/23
श्रेष्ठ ज्ञान
यही है ,अर्जुन
राह सही दिखाता
है
पल दो पल की
चंद सांसे हैं
अन्त हमें क्या
लाता है ?
12/24
कर्म से विमुख
ना होना ,
इच्छा फल की
न करना
श्रद्धा-लगन
कर्म में रखना ,
जा !सफल तू जीवन
अपना करना
12/25
त्याग श्रेष्ठ
हैं सर्वोत्तम,
फलेच्छा को त्यागो
नहीं फर्क ; जहां ना जाने
कर्म कभी ना
; अपने त्यागो
12/26
जैसा कर्म जहां
में होगा,
वैसा तेरा फल होगा
जीव जगत है कर्म
बन्धन में
फल मुझको ही
देना होगा
12/27
त्याग से मिलती
संतुष्टती ,
मन को शांति
मिलती है ,
अौरों को भी
बने प्रेरणा ,
अनुभूति अलग
ये देती है
12/28
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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