Monday, 27 March 2017

527----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
बारहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश की प्रैस  के नाम ;IV PILLAR; इतनी असुरक्षा और PRESSING SITUATIONS के मध्य उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल न केवल हम जागररू्क और अप- टू-डेट रहते है ,हम उनकी सेवाओ से  प्रेरित व गौरवान्वित भी होते हैं)

अभ्यास नियत होते हैं,
 सहज ना मिलता कुछ भी,
 भजन, ध्यान, योग ,समाधि,
 चिंतन ,सुनना ,मुझको भी
12/15
संदेह के बादल छ्ट जायेगें ,
आलोकित होगा तेरा मन ,
प्रकाश पुन्ज स्वयं के जैसा,
 लाभान्वित होगा जन-मन
12/16
स्वतन्त्र जीव हैं जग में ,
धरा है,तेरी एक परीक्षा
कर्त्तव्य परायण बन जा तू
न पल-2 बदले मन की इच्छा
12/17
त्यागो स्वार्थ हे ,पार्थ!
आश्रय ईश्वर का तू ले,
तन,मन ,धन समर्पिति
श्रद्धा से ईश्वर में रंग ले
12/18
ना मांगे ईश्वर तुम से कुछ,
 देता है वो सबको
श्रद्धा मन में रखना तुम
असीम शान्ति ;मिलेगी तुमको
12/19
ईश्वर भाव का भूखा है,
 भक्त को माने स्वयं से बढ़कर ,
एक बार करके तो देख
खुशी मिलेगी जीवन भर
12/20
ऐसा ना कर पाओ, अर्जुन
विकल्प खुले हैं इसी जहां
जीत लेा मन ,बुद्धि को तुम
जीना तेरा होगा ;सफल यहां
12/21
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा




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