Friday, 17 March 2017

518-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
ग्यारवाँ अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश JUDICIARY के नाम ;HONBLE COURTS AND ADVOCATES ;उनकी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल हम सुरक्षित RULE OF LAW कायम है ,हम जिनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित होते हैं)



“हजार सूर्य आलोकित करते ,
फिर भी अनोखा दिव्य प्रकाश
बड़ा अनोखा दिव्य रूप है !
आलोकित करता धरा -आकाश
11/29
अर्जुन ,भाग्यशाली जहां में
देवों के देव को देखा उसने
सौभाग्य मिलता है जहां में
दिल में समाया रूप को जिसने
11/30
पुलकित शरीर अर्जुन का था,
बार-2 हाथ जोड़ता, अर्जुन
 प्रकाश पुन्ज आलोकित करता,
 हाथ जोड़ के बोला अर्जुन ,”
11/31
“मैंने देखा सम्पूर्ण जगत
सब देवों के मिले निशान
भूतों के समुदाय भी देखे
बृहमा के दर्शन आसान
11/32
दिव्य स्वरूप भी विचरण करते
रिषि -मुनि महादेव को देखा
अनेक भुजा, पेट ,मुख ,नेत्र
 रूप अनोखा ,अनुपम देखा
11/33
आदि ,अन्त,ना मध्य को समझा
विश्व रूप मुकुट-युक्त-गदायुक्त
प्रकाश मान है तेज पुन्ज
आग धधकती चक्र-युक्त
11/34
सूर्य समान है नेत्र ,प्रभु,
 ज्योति अनोखी जलती है
 अप्रमेय स्वरूप भी देखूं
 अदभुत आभा चमकती है
11/35
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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