Tuesday 27 June 2017

611---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय 
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन केवल ज्ञानवान समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)


दान भी देना कर्म स्वभाविक
क्षत्रिय जग में कहते सभी
रक्षा का दायित्व है उनका
मान भी मिलता उन्हें तभी
18/90
खेती ,गोपालन, क्रय, विक्रय
व्यापार वो सच्चा करता है
वैश्य कहे दुनिया जाने
मान सभी का रखता है
18/ 91
सेवा भाव है दिल में जिसके
सेवा समाज की करता है
अनुकूल वो अपने कर लेता
भाव वो दिल में रखता है
18/92
भगवत प्राप्त हेतु शरणागत
प्रयास उसी का सच होता
कर्म मार्ग है उत्तम
कभी किसी को ना अचरज होता
18/93
कर्म की राह आसां बनाता
परमतत्व से मिलना संभव
आगे का वर्णन मुझसे सुन
 कोई काम जहां में नहीं असंभव
18/94
जगत की रचना जिसने की है
संसार रचा है जिसने
वह परम तत्व जग में है व्याप्त
 कर्म भी रचा है उसने
18/95
जल में वर्फ व्याप्त है जैसे
कण-कण में है वही समाया
है स्वभाव जनित पालन वह करता
दिल से उसने इन्हें बसाया
18/96
करता जगत का वो है
कर्मों का संसार रचा
कर्मों की छूट मिली हमको
 रहस्य जगत का यही बसा

18/97
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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