आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with
God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों
के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल
ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में
उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है
कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
दुनिया है एक रंग मंच
मानव नेता अभिनेता है
जहां मैं पड़ा बिखरा
है सब
यहीं से लेता - देता
है
18/49
आशक्ति पालता दिल में वो
भेद करें अपना -पराया
फल -इच्छा रहे बलवती
लोभ दिलों में उसके छाया
18/50
मजा मिले जब देखे वो
औरों को दुख मिलता है
खिलता मुखड़ा उसका है
औरों का दुखड़ा खुशियां
देता है
18/51
हर शोक में डूबा रहता
दुनिया में रहे भटकता
राजस प्रवृत्ति उसकी
है
सत्य यही वो समझता
है
18/52
दीर्घ सूत्री ,अशिक्षित
,घमंड से चूर
धूर्त नुकसान सदा वो करता है
शोकाकुल ,आलसी ,अयोग्य,
तामस
टांग सदैव अड़ाता है
18/53
ना चैन से रहता है वो
ना चैन से रहने देता
है
सुख जगत में व्याप्त
है
पर दुख सबको देता है
18/54
प्यार जहां का साया
है
प्यार जहां की माया
है
क्यों नहीं समझता इसको
यहीं अंधेरा छाया है
18/55
बुद्धि ध्रृति का भेद समझ
तीन प्रकार का होता
है ये
ध्यान से सुनना मुझसे
तुम
ना समझ में आता तेरी ये
18/56
ग्रहस्थ बनके ,रहकर भी
प्रवृत्ति मार्ग को
अपनाना
भगवत प्राप्ति संभव
है
जीवन में ये करके देखना
18/57
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी
है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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