आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with
God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों
के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल
ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में
उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है
कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
अर्जुन, इस संसार में
कुछ लोग होते बड़े अजीब
बुरे कर्म से नफरत ना
नहीं मानते अपना नसीब
18/17
अच्छे कर्म है आसक्ति ना
बड़ी सरलता से भी लेते
सात्विक रहता धर्म भी उनका
सांस भी राहत की लेते
18/18
शक की गुंजाइश ना
सर्वोपरि है त्याग कामना
फल आधा या पूर्ण रहे
फर्क नहीं ;चुप रहे या करें सामना
18/19
अच्छा बुरा परिणाम मिलता है
फल इच्छा न त्याग सके
जन्म-जन्मांतर का क्रम है
कभी ना इनसे बच सके
18/20
हिम्मत जिसमें ना होती
फल इच्छा मन को मोहती
दंड है उनका अवश्यंभावी
साथ ना किस्मत उनका देती है
18/21
मोह ना ममता का आकर्षण
दिल भी उनका रहता मजबूत
कभी न दंड के भागी
होते
सदा ही रहता उनका वजूद
18/22
शास्त्र उपाय बताते ,पार्थ
मूर्खों न जाने उनका आधार
पंचकर्म अपनाना !अर्जुन
तुम्हें बताता सबका सार
18/23
ध्यानपूर्वक सुनना ,अर्जुन
आशा की तुम नई किरण
जग भी आलोकित होता है
सत्य भी लेता तेरी शरण
18/24
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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