आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with
God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों
के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल
ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में
उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है
कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
कर्म की सिद्धि करते हैं
अधिष्ठान की जाते शरण
कर्म हमारे अलग-अलग है
भिन्न है उनके सभी करण
18/25
चेष्टा भी अलग-अलग है ,
पांचवां संस्कार है देव
वह धरा पर व्याप्त है
अचरज होता हमको सदैव
18/26
मन ,वाणी ,शरीर, कर्म,
शास्त्र भी देते हमें सलाह
विपरीत कर्म करता है जो
मुश्किल होता उसका निर्वाह
18/27
सत्संग जरूरी आवश्यक है
मन की बुद्धि होती शुद्ध
पाप से हमको यही ब चाती
जीवन जीते पूर्ण विशुद्ध
18/28
भ्रम भी कुछ ने पाल रखा
करता आत्मा को माने
जो भी मन
में आता करता
सच ना
अज्ञानी जाने
18/29
बुद्धि होती उसकी अल्प
अल्प ज्ञान ने उसको मोहा
भगवत कर्म ,उपासना
बुद्धि को है इस ने संजोया
18/30
ज्ञान जरूरी मिले सत्संग
जीवन का अर्थ समझ में आया
जीवन जिसमें जिया है शुद्ध
प्रभाव उसी ने हमपे जमाया
18/31
कर्म ,प्रेरणा तीन है
ज्ञाता ,ज्ञान और ज्ञेय
करता करण और क्रिया
करता संग्रह इन्हें संजोय
18/32
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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