आज का गीता जीवन पथ
16वां अध्याय
Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित करते हैं)
पापाचारी ,क्रूर -कर्मी है वे
जन्म आसुरी देता हूं मैं
जीवन उसका घिसता- पिटता
कभी ना मुक्ति देता हूं मैं
16/41
बार-बार यह जीवन मिलता
कभी न मुझको मिलते हैं वे
अधोगति को प्राप्त वे होते
विरत मुक्ति से होते हैं
वे
16/42
काम क्रोध लोभ में !
जीवन इनसे कटता है
नाशवान यह वृत्ति उनकी
साथ इन्ही के रहता है
16/43
अर्जुन मुक्त जहां में,
जो मानव रहता है
कल्याण मार्ग अपनाता जो
अंत में मुझको पाता है
16/44
मन माना आचरण है जिनका
त्याग करें जो शास्त्र विहित
परम सिद्ध ना कभी मिले
सुख ना रहता
उनमें निहित
16/45
कर्तव्य अकर्तव्य का भेद जहां में ,
कल्याण मार्ग शास्त्र प्रमाण भरोसा
कल्याण मार्ग है करने योग्य
ज्ञान शास्त्र ने हमें परोसा
16/46
कर्म आचरण सोच हमारी
कभी न पंगु बन सकती
मानव का कल्याण करो ,पार्थ !
यही शास्त्र की नियत मिलती
16/47
अध्याय समाप्त
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment