आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with
God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों
के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल
ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में
उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है
कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
अभिमान ना जिसमें होता
प्रभु परमेश्वर होता वो
जैसा अपना कर्म चले
फल मिलता; देता है वो
18/40
कर्म जहां में बहुतेरे
बिन मेहनत वे चलते ना
भोग चाहता जो मानव
अभिमान तले वे चलते
हैं हां
18/41
राजस कर्म जहां में
कहते
बखान वो अपनी करते हैं
मौज करें जब फल पाएं
दिग्भ्रमित वो रहते
हैं
18/42
अज्ञानी भी करते कर्म
चिंता उनको ना होती
होगा ; देखा जाएगा
शंका मन में भी होती
18/43
बात को अपनी जायज पाते
खून-खराबा हिंसा करते
नाम करें बदनाम जगत
में
पश्चाताप कभी ना करते
18/44
मूर्ख जहां में ऐसे
हैं
तामस प्रवृत्ति उनकी
होती
परिणाम कभी ना चिंतित
करता
बीज भी हिंसा अपने बोती
18/45
कर्म जो करता दुनिया
में
मानवता का चिंतन करता
अभिमान रहित वचन वो
कहता
मार्ग सात्विक वो चलता
18/46
उत्साह उमंग जोश में
होश
हर्ष विकार ना आता है
सात्विक जिनकी प्रवृत्ति
है
जहां को वो समझता है
18/47
कर्ता जगत में कोई और
है
काम, कर्म भी उसका है
जन्म मरण है निश्चित
तिथि
जहां में सब कुछ उसका
है
18/48
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी
है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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