Monday 26 June 2017

610-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय 
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन केवल ज्ञानवान समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)

कर्म भी चलता अनवरत 
जैसे बांध रखा कर्म बंधन 
कर्म बुद्धि से संचालित 
जग में ऐसा इसका चलन 
18/82
जिसकी बुद्धि तीव्र जगत में 
ब्राह्मण वही कहलाने लायक
देश सुरक्षा में ज़ो आगे
छत्रिय वही समझने लायक
18/83
व्यापार जगत में जिनका चलता 
अर्थ बनाता दुनिया का आधार 
सेवाभाव मन में जो होता
लुप्त होता जगसे अंधकार 
18/84
(
ब्राह्मण)
कर्म विभाजन आवश्यक
सहज संचालन होता जरूरी
कर्म बदलते राह बदलती 
बने जन की ये मजबूरी 
18/85
इंद्रिय दमन अंतःकरण निग्रह
धर्म पालन और कष्ट सहे 
बाहर भीतर रहे सदा शुद्धता 
क्षमा वान सरल रहे
18/86
अपराध क्षमा वह करता है 
वेद शास्त्र का उसको ज्ञान
श्रद्धा ईश्वर लोक परलोक 
अध्ययन-अध्यापन बढ़ाता मान
18/87
अच्छा अनुभव जब साथ में रहता 
सदा सत्य कर्म है होते 
वही ब्राह्मण होता है 
कर्म शास्त्र सात्विक जिसके होते
18/88
तेज झलकता शूरवीर है वह 
धैर्य भी उसके साथ चले 
योद्धा चतुर वो होता है 
ख्याति जग में उसको मिले
18/89
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

No comments:

Post a Comment