Saturday 3 June 2017

590---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

17वां अध्याय 

Chapter 17*
__Choosing the right over the pleasant is a sign of power_

जय श्री कृष्णा.

सबका भला हो !
(1 7वां अध्याय समर्पित है सभी वन रक्षक व वन अधिकारियों के नाम; जिनकी मेहनत से देश -विदेश हरा -भरा रहता है ,और हम सभी को प्रेरित  करते हैं)

अर्जुन  भ्रमित हुए थोड़ा सा ,
 हाथ जोड़कर बोले ,माधव
जिसने शास्त्र पढ़ा ना जीवन में
कैसे होते प्रसन्न रब ?
17/1
तामस ,सात्विक, राजस
मुझे बताओ ,भगवन, इनको
उद्धार करें जीवन में अपना
अपनाएं ,पाएं हम भी इनको
17/2
“स्वभाव जनित  है श्रद्धा
सात्विक जो जीवन अपनाता
आगे इनका वर्णन ,सुनो ,पार्थ
क्या खोता ,क्या पाता ?
17/3
श्रद्धा जन्म लेती है
साफ शुद्ध है मन जिसका
अंतकरण में जगह बनाती
श्रद्धा मय मन है जिसका
17/4
सात्विक पूजन करते कर देवों का
यक्ष राक्षस भजते राजस
 भूत प्रे का भजन है भजते
चरित्र है उनका तामस
17/5
कपोल कल्पित बातें हैं कुछ की
तन को खूब सताते हैं
उनकी सोच; उनकी प्रेरणा
बात यही बताते हैं
17/6
कुछ नेकष्ट सहा है खूब
शास्त्रों का करते तिरस्कार
असुर स्वभाव है उनका
भला न करते उनके उपकार
17/7
सुख ना पाता जीवात्मा
 घोर अत्याचारी हैं वे
सालों तक भूखे रहते हैं
कैसे कह दें व्यवहारी हैं वे
17/8
शेष कल


मेरी विनती

कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगाA

No comments:

Post a Comment