आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with
God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों
के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल
ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में
उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है
कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
गणों की संख्या शास्त्र करें
इनके गुण भी होते तीन
सुन आगे का वर्णन तू
इन विन होते गुणा-विहीन
18/33
अर्जुन सारा भ्रम दूर करो
तू ज्ञान पिपासा अपनी बुझा
ज्ञान कर्म कर्ता का अंतर जान
तू अपने प्रश्न का उत्तर पा
18/34
परमतत्व भी प्रथक -2है
ऐसा लगता हमको अर्जुन
ज्ञान भेद करे न कोई
एक ही लगता सबको अर्जुन
18/35
समभाव दिलों में जिसने पाला
विभाग रहित देखता ज्ञानी
प्रथक प्रथक सबको लगता
सात्विक ज्ञान से महिमा जानी
18/36
राजस् ज्ञान भेद दिखाता
अलग-अलग भावों में दिखता
भिन्न-भिन्न भूतों में जो
अलग-अलग है हमको लगता
18/37
तामस सोच बड़ी तुच्छ है
संपूर्ण शरीर आसक्त है सदृश
महज मन की उपज है जिसकी
मानव दिखता प्रभु -सदृश
18/38
कर्म महान वह सात्विक है
फल- इच्छा ना साथ रहे
राग द्वेष से विरत है जो
कर्तापन् ना साथ रहे
18/39
अभिमान ना जिसमें होता
प्रभु परमेश्वर होता जो
जैसा अपना कर्म चले
देता कोई लगता ला ता है वो
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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