आज का गीता जीवन पथ
17वां अध्याय
Chapter 17*
__Choosing the right over the
pleasant is a sign of power_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 7वां अध्याय समर्पित है सभी वन
रक्षक व वन अधिकारियों के नाम; जिनकी मेहनत से देश -विदेश हरा -भरा रहता है ,और हम सभी को प्रेरित करते हैं)
सत
काअर्थ जानो,पार्थ
नाम उसी का संबोधन
जाप करें जब हम उनका (भगवान)
खिलता इससे मन मन
17/33
भाव सत्य व श्रेष्ठ तुम्हारा
जीवन में कल्याण करो
सात्विक कर्म को करना है
भला सभी का तुम करो
17/34
अन्याय मिटे ,अंत्याचार मिटे
पहला अपना काम जगत में
सत नाम को लाना बहुत जरूरी
श्रद्धा प्यार बढ़े जगत में
17/35
चिंतन कर्म जहां में ,पार्थ
सबको करना शुभ ही शुभ
नाम उसी का छाया है
बात ना समझो तुम अशुभ
17/36
यज्ञ ज्ञान और तप
भजन दान और दक्षिणा
समझो नाम से उसके काम
समझो यही तुम्हारी प्रदक्षिणा
17/37
श्रद्धा दिल में ना रहती
काम करो तुम बे मन
वक्त करो बर्बाद अपना
सुख ना देता कोई जन मन
17/38
श्रद्धा है पर्याप्त जगत में
नाम भी ले लो पावन भाव
जो ध्यान लगा है परम तत्व
ना होता जीवन में अभाव
17/39
इसका होना ना होना है
कल्याण मानव का रहता दूर
ना हित सधता पृथ्वी लोक में
परलोक भी रहता पहुंच से दूर
17/40
श्रद्धा भाव सदा रखना
सत का नाम जपते रहना
कल्याण सभी का करते जाना
याद रखेगा तुम्हें जमाना
17/41
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी
है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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