Tuesday 30 May 2017

588-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
16वां अध्याय 

Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित  करते हैं)

शत्रु कभी ना टिक पाते
धोखा षण यन्त्र न झूठ सामने
सही वक्त पर मैं जागा
अर्जुन सत्य क्या हैं यही बताने
16/33
मैं ईश्वर सभी सिद्धियां युक्त
मेरी क्षमता के आगे ना चलती है
बलवान सुखी ऐेश्वर्य युक्त
मेरे आगे दुनिया हिलती है
16/34
कु टु म्ब  बड़ा है मेरा
ताकत साथ में रहती है
धन् न् छोड़े साथ मेरा
 खुशियां साथ में रहती है
16/35
दान यज्ञ आमोद प्रमोद
जी आता ,मैं करता हूं
भूखे-प्यासे लोग जहां में
पेट भी उनका भरता हूं”
16/36
पाखंडी घमंड में चूर
 यज्ञ दिखावा करते हैं
धन- धान्य में मोहित होते
 मन से छलावा करते हैं
16/37
विषय भोग के आदी हैं
ताकत आगे पीछे डोले (They feel)
असुर प्रवत्ति नरक के वासी
अहंकार सर चढ़ के बोले
16/38
श्रेष्ठ मानते स्वयं को वे
शास्त्र-ज्ञान उनसे दूर
झूठे हैं तन-मन से  वे
वक्त मिटाता उनका नूर
16/39
अहंकार ,बल ,क्रोध, कामना
निंदा रस में सुख मिलता
 नफरत भरी है उनकी निगाहें
घृणा से जीवन उनका कट्ता
16/40
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा




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