Monday 22 May 2017

581--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
15वां अध्याय 

*Chapter 15*
Give priority to Divinity_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के बच्चों के नाम ,जिनका मुस्कुराहट से भरा हुआ चेहरा हमारी न केवल थकान को मिटा देता है , बल्कि कल के भविष्य के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है)


आत्मा त्यागे मृत शरीर
प्रवेश ये पाती नया शरीर
भाव साथ में ले जाती है
 देनी होती ना तहरीर
15/33
मन से लेती है आश्रय
 इंद्रियों का यह भोग करे
इन्हीं स हारे सेवा करती
जीवन का ये भोग करे
15/34
अज्ञानी ना करें विश्वास
आंखों पर उनका विश्वास
आंखें देखती मानते उसको
दूर रहे या आये पास
15/35
आंखों की सीमा होती है
 सब कुछ देख ना पाती हैं
ज्ञानी देखे ज्ञान के माध्यम
रहस्य समझ में लाती हैं
15/36

अज्ञानी क्या समझेंगे
 वास शरीर में में इसका है
 छोड़ के जाती है विषय भोगती
रहस्य अनूठा इसका है
15/37
रहस्य योगी समझे खेल जगत का
जी व विराजे अंश परमतत्व
बिन इसके ना जीवन है
 यही जानना परम सत्य
15/38
अंतःकरण नहीं शुद्ध
मखौल उड़ाते देखा है
अज्ञानी वो पागल है
यहीं ज्ञान ने खींची रेखा है
15/39
मैं ही कारण
मैं ही निवारण
बोझ सभी का
करता धारण
15/40
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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