Sunday, 28 May 2017

587----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
16वां अध्याय 

Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित  करते हैं)


ना ही ईश्वर ना ही आश्रय
चिंतन उसका बढ़ता ना
काम को जाने अंतिम सत्य
अन्याय में वो गिरता जा
16/17
ज्ञान है मिथ्या अज्ञानी का
मानव से मानवता को खतरा बड़ा
गठरी पाप की बढ़ती है
भरता जाता उसका घड़ा
16/18
उपकार के बदले अपकार
 खून का प्यासा प्यासा है
कर्म क़्रूर उस अज्ञानी का
पागल उसके जैसा है
16/19
विश्व में सब का शत्रु है
मानवता को खतरा है
ज्ञान को अब तक ना समझा
अपना बदलता पैंतरा है
16/20
ईश्वर को वह कुछ ना माने
खून बहाना उसकी आदत  
पशुपक्षी चाहे इंसानहो
फर्क नहीं चाहे कोई दे शहादत
16/21
खेल जगत का अजीब अनूठा
 सत्य असत्य की बड़ी लड़ाई
 ताकत सत्ता पदार्थ प्राप्ति
लेकर आती यही बुराई
16/22
वे अज्ञानी मिथ्या बातें
गढ़ते रचते विचरण करते
अनंत कामना लेकर जीते
काम में अपना खोए रहते
16/23
दंभी अभिमानी अहंकारी
नहीं आचरण अच्छा उनका
 भोग विलास का जीवन में है
तुच्छ ज्ञान का जीवन उनका
16/24
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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