Sunday, 21 May 2017

579--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
15वां अध्याय 

*Chapter 15*
Give priority to Divinity_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के बच्चों के नाम ,जिनका मुस्कुराहट से भरा हुआ चेहरा हमारी न केवल थकान को मिटा देता है , बल्कि कल के भविष्य के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है)


 उसका लक्ष्य ध्यान में उसके
परमतत्व है उसकी सत्ता
गति जीवन को मिले यहां
बिन इच्छा ना हिले भी पत्ता
15/25
 आना-जाना क्रम जीवन का
मिलता उसको छुटकारा
 परमानंद वह जीता है
 दुनिया में सब उससे हारा
15/26
परमधाम है वास उसका
स्वयं प्रकाशित होता है
ना ही अग्नि ,चंदा, सूरज
उसे प्रकाशित करता है
15/27
सूर्य रोशनी एक है
फिर भी लगती बढ़ती
अलग-अलग है जहां प्रकाशित
कहीं ये बढ़ती ,कहीं ये घटती है
15/28
जीवन अंश परमतत्व का
लगता बढ़ता है इसी जहां
मूलतत्व एक है
कभी ना ब टं ता सारा जहां
15/29
मूल भाव में वही समाया
उसका रूप जहां मैं एक
वह तो निरंकार परमसत्ता
लगते- दिखते रूप अनेक
15/30
मुझ में भगवान, तुझ में भगवान
अं श है उसका जीवन
 जिस दिन छिपता प्रकाश बदन में
मिट जाता यह प्यारा उपवन
15/31
 वायु बहती ,साथ में लेती
व्याप्त हो जहां भी गंद
जहां भी जाती ,वह फैलाती
दुर्गंध रहे या चाहे सुगन्ध
15/32
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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