Monday, 15 May 2017

576----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
15वां अध्याय 

*Chapter 15*
Give priority to Divinity_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के बच्चों के नाम ,जिनका मुस्कुराहट से भरा हुआ चेहरा हमारी न केवल थकान को मिटा देता है , बल्कि कल के भविष्य के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है)


विषय भोग हैं पुरुष यहां ,
माया मोह के जाल फसा
मेरा अपना है बस !
 लगता ;मिलता यही दगा
15/9
नाशवान संसार है!
 क्षणभंगुर है दुनिया सारी
वह पल भी आएगा !
जब मिट जाएगी दुनिया प्यारी
15/10
माया ,मोह ,राग, द्वेष ,भोग, यहां
अहंकार सिर चढ़ कर बोले,
युगों युगों से कहते आए
मन ना अपना पता खोले!
15/11
सभी समझते, कहते हैं
अहंकार का त्याग जरूरी
मानव बना अहंकारी लेकिन ;
पता नहीं क्या मजबूरी?
15/12
कमजोर नसों को जान लिया है
अहंकार ना घटता है
 बात बात में ,साथ साथ में
अहंकार ही चलता है
15/13
 जिसने वृक्ष को जान लिया
वह महिमा इसकी मान लिया
फर्क नहीं पड़ता है उसको
मर्म जीवन का जान लिया
15/14
आदि नहीं ,अंत नहीं
 शाखाएं मजबूत यहां
गहरी जड़ें जमा ली जिसने
आया, खोया सारा जहां
15/15
वैराग्य दिलों में जिसके
पैदा होता ;याद दिलाता
पल भर का यह सपना है
सब कुछ यहां पर मिट्ता जाता
15/16
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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