Monday, 29 May 2017

588-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
16वां अध्याय 

Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित  करते हैं)

चिंता असंख्य उनकी रहती
सत्य तले दिल मैं डर रहता
झूठ बचाने की खातिर ;
मिथ्या नाटक हरदम चलता
16/25
चिंता उन्हें सताती है
झूठ  भला कितने दिन टिकता
 उनकी संस्कृति, उनकी सभ्यता
क्षण आता दीपक गुप्ता बुझता
16/26
भोग विलास की माया उनकी 
सुख  ढूंढे इन में वो
सुख है जीवन में क्या?
गढ़े  गणेश कहानी कहते वो
16/27
प्यासा मरता जीवन में
 क्षणभंगुर सुख है उनको
जाते-जाते देता नसीहत वो

 दुख ज्यादा जीवन में सबको
16/28
काम क्रोध दंभ अभिमान
आशा उनकी इनके सहारे
अन्याय कूटनीति षड्यंत्र
ढूंढे ;मिलते उन्हें सहारे
16/29
संग्रह उनका अन्याय पूर्ण
धोखा देते जीवन में
आगे बढ़े विरासत  उनकी
 खुशी नदारत उनके उपवन में
16/30
अतृप्त आत्मा रहता है
 तृप्ति जीवन में न आती
 भोग की दुनिया में रमता
सद्बुद्धि कभी ना आती
16/31
धन के नशे में चूर रहे
सब कुछ हासिल करने की क्षमता
एक मिली या अन्य मिली
क्रम ना रुकता  कहते सफलता
16/32

शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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