Wednesday 10 May 2017

572----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
चौदहवां अध्याय 

*Chapter 14*
_Live a lifestyle that matches your vision_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के विद्यार्थियों के नाम ; इत नी महनत और परेशानी के मध्य केवल अप ने लक्ष्य को प्राप्त करते  है, बल्कि अपने सपनों को साकार रूप देते हुये देश की तरक्की में अटूट योगदान देते हैं)

भ्रमित हुये अर्जुन ,फिर से
समझ सके ना परम त्य
फिर बतलाओे प्रभु,मुझको
क्या फर्क रखे सत्य असत्य?
14/49
लक्षण हम से दूर रहे,
 कैसे इसको समझे ?
व्यवहार कौन सा जीवन में !,
दूर ना हो ; सत को बूझें
14/50
प्रकाश करें जिनको आलोकित,पार्थ!,
ज्ञान की फैले जलती ज्योति,
 करो प्रयास सत-गुण जानो ,
जहाँ ज्ञान के मिलते मोती
14/51
कर्म तेरे मन के आधीन,
 मन की दुनिया हम रचते ,
सीमित स्वत न्त्रता  तुम्हें मिली
हंसते रहते ,नहीं समझते
14/52
अपना पराया भेद करें,
 अपनों में हम खो जाये,
 अपनी लालसा अपनी कामना ,
गुम इनमें हम हो जायें
14/53
मोहमाया के जाल में फंसना ,
जानबूझ के गलती करें ,
बाहर निकल ना पाये हम,
 गलती पे ना पश्चाताप करें
14/54
मोह माया का जाल तोडना,
 विरले ही कर पाते हैं ,
दुनिया उलझी इसी खेल में ,
पल -2इनमें फंसते जाते हैं
14/55
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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