Thursday, 11 May 2017

573-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
चौदहवां अध्याय 

*Chapter 14*
_Live a lifestyle that matches your vision_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के विद्यार्थियों के नाम ; इत नी महनत और परेशानी के मध्य केवल अप ने लक्ष्य को प्राप्त करते  है, बल्कि अपने सपनों को साकार रूप देते हुये देश की तरक्की में अटूट योगदान देते हैं)


जिसका मन है एक समान ,
मित्र -शत्रु सा्थ रहे
दोस्त- दुश्मनी फर्क नहीं
मान- अपमान भी सा्थ रहे
14/62
सुख दुख भी है एक समान,
 मित्र या शत्रु साथ चले,
दोस्त दुश्मनी फर्क नहीं ,
मान अपमान भी साथ मिले
14/63
सुख दुख मे न अन्तर,
पत्थर मिट्टी सोना भी ,
उसको क्या गम होगा ?
चाहे पड़े हाथ से खोना भी
14/64
ज्ञानी प्रिय ,अप्रिय भी ,
निन्दा-स्तुति समान भाव ,
एक समान जो हर स्थिति
कभी खुशी ना लाती ताव
14/65
गुण सम्पन्न पुरुष वही है ,
कर्ता पन का रहे अभाव ,
में नें दुनिया जीती है
जीत न देती कोई भाव
14/66
अत्याचारी पुरूष यहां ,
बोध उन्हें भी होता है,
 अपराध का घड़ा भर जाता है  ,
भक्ति भाव में खोता है (पृवृत होता)
14/67
भजता मुझकों ,दुनिया ,समझता ,
स्थिति अनोखी आती है,
 भक्ति में शृद्धा से लीन
 दिल को मेरे भाती है
14/68
आश्रय मिलता मुझसे ,
मुझसे ही आश्रय है
यही मिलाता परम बृहम,
 व्यक्ति ही देता पृश्रय है
14/69

जीवन उसका खिल जाता ,
अमृत नित्य धर्म भी
अखण्ड देता आनन्द है
मिलता मिटाता अधर्म भी
14/70
सब के पीछे शक्ति मैं,
 खुशियों से मनभर देता,
 खुशी करे सबको कायल
 मैं खुशियों से घर भर देता
14/71
अध्याय समाप्त
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा




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