Sunday, 7 May 2017

570-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
चौदहवां अध्याय 

*Chapter 14*
_Live a lifestyle that matches your vision_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के विद्यार्थियों के नाम ; इत नी महनत और परेशानी के मध्य केवल अप ने लक्ष्य को प्राप्त करते  है, बल्कि अपने सपनों को साकार रूप देते हुये देश की तरक्की में अटूट योगदान देते हैं)



अज्ञान से तम होता है
चलने ज्ञान की न देता
 अन्धकार हो जीवन में
तम जीवन में भर देता
14/36
ज्ञान तो लाता सतगुण
सदा-2 को होता है
लोग सीखते ,लोग समझते
तमको बाहर कर देता
14/37
द्वेष ,लोभ,लालच, जलन
 स्वार्थभरा जीवन बनता
रज गुण पैदा करें अनन्त कामना
जीव को मोहित करता रहता
14/38
सारे पापों की जड तम है
जिसको जो अधिकार मिला
सत्ता नशा दिलाती है
 मन भी कहीं दूर चला
14/39
आपाधापी अपनापन
सब कुछ मेरा मेरा है
अज्ञान रहे मन पे हा्वी
लगता सुख का डेरा है
14/40
सतगुण है कष्ट भरा ,
ज्ञान का अथाह सागर
ज्ञान झलकता पल्-2 है
जैसे नीर भरी गागर
14/41
स्वर्ग लोक या उच्च लोक
सतगुण करे निवास
कभी निराशा आये
 कभी ना सुख दुख; रहती आस
14/42
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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