Saturday, 27 May 2017

586---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

16वां अध्याय 

Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.

सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित  करते हैं)



तेज चमकता है उससे
प्रभाव तेज से रहता है
तेज बनाता महान उसे
 तेज संसार में रहता है
16/9
 पार्थ सुनो तुम दुनिया में
दानव वृत्ति उस मानव की
 दंभ घमंड अभिमान क्रोध
चालें उसकी दानव की
16/10
देवी संपदा दुनिया में
मुक्ति का मार्ग दिखाती है
दानव वृत्ति इस जहां में
बंधन में उलझाती है
16/11
सुनो ध्यान से तुम ,अर्जुन
देवी संपदा तेरे पास
भय को ना धारण कर
 समझो !इस पर करो विश्वास
16/12
वक्त आ गया है अब
शोक, भय का त्याग कर
गांधी व उठा तू आगे बढ़
देर करो ना ,युद्ध कर
16/13

गुड को जानो तुम विस्तार से
मैंने तुम्हें बताया
दानव वृत्ति को भी समझो
कथन ना पूरा मैंने तुम्हें सुनाया
16/14
प्रवृत्ति निवृत्ति है समझ से दूर
अंतःकरण ना शुद्ध है उसका
श्रेष्ठ आचरण ,क्या भाषण है
 ना जेहन कोई (उसका )जान सका
16/15
जिसकी प्रवृत्ति रहे  आसुरी
काम  को  जिसने चिंतन माना
बना संयोग है जन्म का कारण
 उसने केवल इतना जाना
16/16
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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