आज का गीता जीवन पथ
16वां अध्याय
Chapter 16*
_Being good is a reward in itself
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 6वां अध्याय समर्पित है सभी ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के लिए ,जिनकी मेहनत से घर परिवार चलते हैं और हम सभी को प्रेरित करते हैं)
अर्जुन ,व्यक्ति हमेशा अच्छा
भय का रहता जिसमें अभाव
अंतःकरण है निर्मल ,पावन
स्वयं बढ़ाता है सद्भाव
16/1
दृढ़ संकल्पित तत्व को जाने
अपना जीवन करें समर्पित
दान-दक्षिणा ,प्रेम ,विश्वास
सेवा ,पूजा करता अर्पित
16/2
अग्नि होत्र,उत्तम कर्म में लीन
वेदों का ज्ञान, आचरण अच्छा
संकीर्तन प्रभु का करता
है
व्यक्ति वही है सच्चा
16/3
जिसने धर्म को खूब निभाया
कष्ट सहे शरीर पर अपने
अंतकरण सरल है उसका
नाम किया है जग में उसने
16/4
मन से शुद्ध ,मधुर है वाणी
कष्ट किसी को नहीं दिया
प्रिय संवाद उपकार करें
क्रोध कभी ना उसने किया
16/5
अभिमान करे ना कभी भी
त्याग है कर्तापन का जिसमें
चित्त ना चंचल उसका है
निंदा भाव दूर है उसमें
16/6
दया भाव उमड़ पड़े
आसक्ति का रहे अभाव
व्यर्थ चेष्टा रास ना आए
सच्चा ज्ञान ना करें तनाव
16/7
संघर्ष ,हर हर्ष ,विषाद
तटस्थ वो रहता है
पापी चले ले झूठ सहारा
ना बात में उसकी बहता है
16/8
शेष कल
मेरी
विनती
कृपा
तेरी
काफी
है
,प्रत्यक्ष
प्रमाण
मैं
देता
जब-2
विपदा
ने
घेरा
,गिर
ने
कभी
ना
तू
देता
साथ
मेरे
जो
पाठ
है
करते
,कृपा
बरसते
रखना
तू
हर
विपदा
से
उन्है
बचाना
,बस
ध्यान
में
रखना
कृष्ना
तू
निपट
निरक्षर
अज्ञानी
है
हम
,किससे,
क्या
लेना,
क्या
देना
I
कृपा
बनाये
रखना,
कृष्णा,
शरणागत
बस
अपनी
लेना
II
(अर्चना
व
राज)
नोट-
जो
लोग
जातिवाद
कहते
हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा
ने
मानव
कल्याण
की
ही
बात
की
हैं
जातिवाद
खुद
ब
खुद
समाप्त
हो
जायेगा
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