Monday 8 May 2017

571----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
चौदहवां अध्याय 

*Chapter 14*
_Live a lifestyle that matches your vision_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के विद्यार्थियों के नाम ; इत नी महनत और परेशानी के मध्य केवल अप ने लक्ष्य को प्राप्त करते  है, बल्कि अपने सपनों को साकार रूप देते हुये देश की तरक्की में अटूट योगदान देते हैं)


निवास है रज़गुण का दुनिया में ,
मानव लोक में विचरण करता,
भोग, लालसा, स्वार्थ ,मोह,
बढ़ चढ़कर जीवन में रहता
14/43
तम गुण ज्ञान से दूर रहे ,
अज्ञान की नदियां बहती है ,
कीट -पतंगों का जीवन
 सदियां इन को सहती हैं
14/44
मनन करो इस दुनियां में ,
इन गुणों का है निवास ,
गिरफ्त में सभी हम रहते
 और करते हैं विश्वास
14/45
बाद में इनके परम तत्व है,
 जो जाना जीवन का मर्म ,
वही तत्व सर्वोत्तम है ,
इसे मानना ;कौन सी शर्म
14/46
वही है मानव सब से महान ,
परम तत्व को प्राप्त करे ,
जन्म मृत्यु वृद्धावस्था
स्वयं से सबसे मुक्त करे
14/47
परमानन्द की प्राप्ति है ,
परम तत्व से साक्षात्कार ,
खुशी की अन्तिम सीमा है
जीवन में आती उनके बहार
14/48
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा



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