Sunday 16 April 2017

564---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 

*Chapter 13*
_Detach from Maya & attach to Divine_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के engineers and technocrats के नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


ना ही सोचता, वो मरता है ,
मौत बदन को आती है
परम तत्व परमेश्वर हैं !
रूह के रूप में रहती है
13/83
जिसने सच को जान लिया ,
कभी ना, वो मरता है
रूप बदलता जीवन है
रूह का जलवा रहता है
13/84
यथार्थ को समझ लिया है उसने,,
कर्म बन्धन है प्रकृति
 आत्मा महज अकर्ता है
करती -धरती है  प्रकृति
13/85
शक्ति उस परम तत्व की ,
संकल्प मात्र; भूतादि पृगट 
(All past may be expressed)
सम्पूर्ण बृह्माणड़ समाया है
मन चाहे ;होता घटित
13/86
विस्तार देखता परम तत्व में ,
सारा बृहमाणड समाया
 समय भी उस के वश में है
 ये रहस्य समझ ना आया?
13/87
वह अविनाशी निर्गुण ब्रहम है !
 लिप्त कभी ना होता
अंश व्याप्त है सारे जहां
कण-2 में वो रहता
13/88
सब कर्मों से विरत है वो
जगत की सांसे उससे चलती
 बिन उसके ना जीवन है
चलती सांसें भी हैं रूकती
13/89
आकाश व्याप्त है सारे जहां ,
बृहमाणड़ के दर्शन सबको है
 सब पर उसका साया है
प्यार भी मिलता हमको है
13/90
शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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