Thursday, 13 April 2017

561---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 

*Chapter 13*
_Detach from Maya & attach to Divine_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


क्षेत्र उसी का ,
क्षेत्र ज्ञ है वो
बटां-2 सा लगता है
रहस्य समाया उसमें जो
13/63
प्रेम तत्व से जानोगे ,
उस से मिलना निश्चित है
साथ मिलेगा हरपल तुमको
एहसास भी होना निश्चित है
13/64
पुरुष प्रकृति आदिकाल से
साथ ये रहते हैं
ज्ञानी जन की बा्तें हैं
सत्य इसी को कहते हैं
13/65
ईश्वर की शक्ति को
 किसने समझा जाना है
जगत का स्वामी अर्न्तयामी
ज्ञान से सबने माना है
13/66
शक्ति चारों ओर उसी की
 पोषक है जगत का वो
रौद्र रूप संहारक है
संचालित करता जगत को वो
13/67
पूर्ण है जैसे नील गगन
 लगता बंटा सा वो
संकल्प मात्र सब भूतों का
देख रहा है जग को वो
13/68
ज्योति है वह परम शक्ति
आलोकित होता जगत का  सच
मूर्ख बना इंसान जगत में
सत्य से रहता हरदम बच
13/69
शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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