Thursday 6 April 2017

534----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)

पत्ता चलता हिलता देख,
देखता जग की हलचल वो
सुनता है वो सबकी
हिसाब भी रखता पल-2 का वो
13/15
लीला उसकी अपरम्पार ,
समझ सोच से सबकी दूर ,
समय बदलता चलता है ,
कभी ना फीका उसका नूर
13/16
रूप अनेकों जग में देखें,
नाना प्रकार की रीति -रिवाज ,
इस नश्वर दुनिया में ,
रेत पे बंधते हैं सब साज
13/17
अपनी इच्छा अपनी हवस ,
सिर पे जग के हावी,
बदनाम करे वो परम तत्व,
मानो हाथ में उसकी चाबी
13/18
जगत रचियता दुनिया का ,
उससे बड़ा ना विज्ञानी,
ज्ञानी रहस्य की तह कों ढूंढ़ें 
कोशिश सबकी आनी- जानी
13/19
शून्य से बृहमाण्ड बना 
ना इस से बडा कोई रहस्य ,
खोखला जगत है !,
इसे मानते सारे रहस्य
13/20
सदियों से दुनिया करे प्रयास ,
समझ में थोड़ा ही आया,
लेश मात्र क्या ज्ञान मिला?,
फूला इंसान समाया
13/21
शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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