Sunday 9 April 2017

537---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)



अहंकार अभिमान से दूर ,
दम्भ भरा ना आचरण हो ,
सदभाव जगत में लाये वो,
 ढ़ोंग भरा ना आवरण हो
13/36
क्षमा भाव दिल में हो ,
मन वाणी से इतना सरल,
श्रद्धा-भा्व हो दिल में जिसके ,
बातों से ना होता विकल
13/37
अन्दर बाहर से शुद्ध ,
गुरू की सेवा दिल में ,
अन्तःकरण में स्थिर हो ,
खुशी मिले उससे मिलके
13/38
साफ शुद्ध जिसका शरीर ,
द्वेष भाव ना उसकी गति,
 प्रेम बांटता दुनिया में ,
वही तो पा्ता सद्गति
13/39
लेश-मात्र ना आशाक्ति ,
लोक परलोक का मोह नहीं ,
जन्म मृत्यु जरा व रोग ,
दुख में जरा भी ओह नहीं
13/40
ईश्वर है व्याप्त जगत में ,
ता्कतवर है सबसे वो,
बृह्माणड करे उसकी मौजूदगी,
 देख रहा है सब को वो
13/41
जैसे अपने कर्म रहे गें ,
फल भी मिलना निश्चित ,
हस्तक्षेप ना करता है ,
सुख दुख में भी किंचित
13/42
शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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