Tuesday 11 April 2017

539--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 

*Chapter 13*
_Detach from Maya & attach to Divine_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


मारकाट,खूनखराबा,
अधर्म मचाता हाहाकार 
बदनाम धर्म को करता है
चाहे पल-2 अपनी जय-2कार
13/50
धर्म जोड़ता ईश्वर से ,
मार्ग सत्य का चुनता है,
 बखान करे उसकी महिमा ,
सत्य से हमें मिलाता है
13/51
जगत में व्याप्त है वो
राग द्वेष विकार नहीं है साथ
प्रकृति संभाले अपना जीवन,
 रहते चलते जीते मरते उसके सा्थ
13/52
त्रिगुण स्वरूप जगत में रहता,
वश अपना नहीं चलता है ,
नियम शाश्वत सत्ता कायम ,
हस्तक्षेप ना करता है
13/53
हेतु बनी प्रकृति ,अर्जुन !,
उत्प न्न कार्य और का्रन है
 सुख दुख भोगे जीवात्मा
प्रेम ही इसका निवारन है
13/54
भोगे इनको जीवात्मा , अर्जुन !
ना ज्ञान भी सम झे इनका कारन ,
बीच इन्हीं के रहना होता
प्रेम ही करता इनका निवारन
13/55

शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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