Saturday 8 April 2017

536--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


हस्तक्षेप ना वो करता है,
 लोग राजनीति करते हैं ,
स्वार्थ और लालच की खातिर,
 नित नये षडयन्त्र रचते हैं
13/29
ईश्वर सबसे ऊपर है,
 जगत को जिसने खूब रचा,
हक देता है सभी जीव-जन्तु को ,
यही सत्य है !दिल में बसा
13/30
विकार विचार न मन में रहते ,
दोषों का भी रहे अभा्व ,
भोग ना उसको विचलित करते ,
ना जीवन देता कोई तनाव
13/31
ना ही पुत्र मोह में फंसता,
ना ही किसी में आ् र्कषण ,
घर की ममता दूर करे
न सुख-दुख में कोई घर्षण
13/32
प्रिय -अप्रिय का भेद नहीं ,
ना मिलना भी खुशियां देता ,
गुम होने का अफसोस नहीं,
 सबको सब कुछ वो ही देता
13/33
कर्म जहां में जैसे होगें ,
फल वैसा ही आता है ,
भला करो भला होगा,
बुरा न सुख! लाता है
13/34
अनन्य योग का स्वादन कर,पार्थ
नजदीक सदा रहता है मेरे,
 भोग विषयों से दूर रहे,
जपता मुझको सायं-सबेरे
13/35

शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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