Wednesday, 12 April 2017

540-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
तेरहवां अध्याय 

*Chapter 13*
_Detach from Maya & attach to Divine_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats के नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


प्रेम बना जीवन आधार
प्रेम को तुम अपनाना
प्रेम से रहना ,प्रेम में मिलना
 दुनिया में है प्रेम निभाना
13/56
जीवन एक संघर्ष यहाँ,
संग- हर्ष ही लाता मीठे फल
प्रेम साथ जब चलता हो
प्रेम से निकलें सारे हल
13/57
दुख सुख का है अनुपम मेल
सुख आता ,दुख जाता है
दुख भी ठहरे थोड़े दिन
खुशियां सुख लाता है
13/58
पल दो पल हैं सुख पाने को
प्रेम बढ़ाता सुख का सार
 कुछ पल आ्ते अपनाने को
 दुख का सागर है संसार
13/59
सुखी लोग कम मिलते हैं,
 ये अनुभूति अजीब दुनिया में
कम ही इसे समझते हैं
छाया रहस्य है दुनिया में
13/60
जिस दिन इस को समझ लिया,
 वैर भाव सब दूर हटेगें
माया मोह से बन्धन मुक्त,
 प्रेम से सारे जन रहेगें
13/61
द्वार ह्दय के खोलो ,पार्थ !
प्रेम से सारे अपने बना
प्रेम से सबको पास बुलाओ,
प्रेम में तुम भी खो जाओ
13/62
शेष कल


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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