Friday 7 April 2017

535----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

तेरहवां अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)



जीवन मरण का खेल अजीब,
सृष्टि गति से चलती 
क्या होगा आगे अब?
भनक किसी को ना मिलती
13/22
दुष्ट दुराचारी हैं वो ,
खून की होली जिनको भाती ,
बदनाम करें ईश्वर को वो
शर्म जरा सी ना आती
13/23
पल आ्ता है पल जाता है
कौन सा पल है तेरा अन्तिम,
लहू बहा किसपे हंसते 
साथ ना दे गा तेरा भी दम
13/24
नियम शाश्वत जगत में 
मानव बदल नहीं सकता 
थोथी राजनीति है इसकी 
और भेद जगत में है करता
13/25
जगत में भेजता वो सबको 
वही तो देता है सब को 
अन्याय करे इंशा जग में 
पर दोष भी देता है उसको
13/26
झूठे ऐसे लोग यहां,
झूठी उनकी सोच रही 
झूठे वचन फरे बी है
झूठी ऐसी बात कही----(खून की होली)
13/26
साथ स्वार्थ के वे सोचते ,
लालच दिल में वे रखते,
"जियो और जीने दो,"
बा्त प्रेम से कहने दो
13/27
समय बड़ा बलवान जगत में ,
अल्पकाल का डेरा है,
खुशी मिलेगी पल भर की ,
ये जग ना तेरा है ना मेरा है
13/28
शेष कल


मेरी विनती

कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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